कुछ आकाश से उतरे शब्द
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015
अब
जिन्दगी और है भी क्या
समय काटने की तलब
हर पल बेचैनी का सबब
बीते कल की याद में
आते कल की कल्पना में
चूकता जाता हर पल अब
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