कुछ आकाश से उतरे शब्द
शनिवार, 11 अप्रैल 2015
यात्रा ये अज्ञात की
कुछ आ रहा कुछ जा रहा ।
अनजान डगर पर मन गा रहा ।
अनजाने अपने हो रहे
अपने अब सपने हो रहे
शायद ये जगत है किन्ही और संबंधो का
समय बीता अब सब अनुबंधो का ।
यात्रा ये अज्ञात की ।
बात है अब सब बिन बात की ।
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