सोमवार, 4 मई 2015

कुछ लिखू

कुछ लिखू तेरे बारे में ऐसा
किसी चाहने वाले न लिखा हो जैसा
लब तेरे मुस्कुराते रहे जिसे पढ़ने के बाद
हो कुछ ऐसा न फिर आये तुझे मेरी याद ।

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