गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015
सोमवार, 4 मई 2015
कुछ लिखू
कुछ लिखू तेरे बारे में ऐसा
किसी चाहने वाले न लिखा हो जैसा
लब तेरे मुस्कुराते रहे जिसे पढ़ने के बाद
हो कुछ ऐसा न फिर आये तुझे मेरी याद ।
किसी चाहने वाले न लिखा हो जैसा
लब तेरे मुस्कुराते रहे जिसे पढ़ने के बाद
हो कुछ ऐसा न फिर आये तुझे मेरी याद ।
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015
अब
जिन्दगी और है भी क्या
समय काटने की तलब
हर पल बेचैनी का सबब
बीते कल की याद में
आते कल की कल्पना में
चूकता जाता हर पल अब
समय काटने की तलब
हर पल बेचैनी का सबब
बीते कल की याद में
आते कल की कल्पना में
चूकता जाता हर पल अब
मंगलवार, 14 अप्रैल 2015
सौम्य रस
तेरे खूबसूरत चेहरे का
और प्रभात के पहरेका
एक सा ही प्रभाव है
दोनों के सानिध्य में
शांत होता स्वभाव है ।
भोर की इस स्निग्ध वेला में
उसी सौम्य रस का हो रहा
स्त्राव है ।
और प्रभात के पहरेका
एक सा ही प्रभाव है
दोनों के सानिध्य में
शांत होता स्वभाव है ।
भोर की इस स्निग्ध वेला में
उसी सौम्य रस का हो रहा
स्त्राव है ।
शनिवार, 11 अप्रैल 2015
एक मुस्कान
एक मुस्कान ।
जो तुमसे मिली एक शाम
अब भी मुझे पुलकित किये है ।
कुछ ऐसा संग है तेरी खुसबू का
जो आज भी सुगन्धित किये है
जो तुमसे मिली एक शाम
अब भी मुझे पुलकित किये है ।
कुछ ऐसा संग है तेरी खुसबू का
जो आज भी सुगन्धित किये है
कुछ ऐसा अहसास है तेरा
लफ्जो में बया होना मुश्किल है ।
लफ्जो में बया होना मुश्किल है ।
तुमसे मिला तो जाना
मुझमे भी एक खूबसूरत दिल है
मुझमे भी एक खूबसूरत दिल है
और नही कुछ कहना तुमसे ।
कभी मिलो तो बस मुस्कुरा देना ।
बस ये मुस्कान ही मुझे भर देने में काबिल है ।
कभी मिलो तो बस मुस्कुरा देना ।
बस ये मुस्कान ही मुझे भर देने में काबिल है ।
दर्द से यारी
दर्द से न जाने कैसी यारी है ।
तेरी हंसी के पीछे भी छिपा दिख जाता है ।
ये मेरी संवेदनशीलता है
या अपना कोई पुराना नाता है
समझ समझ के थक गया
अभी तक समझ नही आता है
शायद इसे ही इस जहाँ में प्यार कहा जाता है
तेरी हंसी के पीछे भी छिपा दिख जाता है ।
ये मेरी संवेदनशीलता है
या अपना कोई पुराना नाता है
समझ समझ के थक गया
अभी तक समझ नही आता है
शायद इसे ही इस जहाँ में प्यार कहा जाता है
अद्भुत मन
जाल में अपने खुद ही उसमे फंसता
आत्म पीड़ा पहुंचाता ।
दूसरो पर आरोपण करके
अपना अहंभाव बचाता ।
कोई दूसरा कहीं नहीं है
सब तेरा ही प्रक्षेपण है ।
जो सब तू सहन करता
वो तेरा ही पागलपन है ।
तुझे बयाँ करना नामुमकिन है
अधभुत तू मेरे मन है ।
आत्म पीड़ा पहुंचाता ।
दूसरो पर आरोपण करके
अपना अहंभाव बचाता ।
कोई दूसरा कहीं नहीं है
सब तेरा ही प्रक्षेपण है ।
जो सब तू सहन करता
वो तेरा ही पागलपन है ।
तुझे बयाँ करना नामुमकिन है
अधभुत तू मेरे मन है ।
मेरी हंसी तेरी हंसी
सुना है तुम उदास हो चलो एक काम करते है
आज खुद को मस्त करने का इंतजाम करते है ।
आज खुद को मस्त करने का इंतजाम करते है ।
तुम उदास हो तो मैं भी उदास रहू ये तो कोई बात
ना होगी
ना होगी
हिस्सा है गर मेरे मन का तू ,मेरी हंसी भी शायद
तेरी हंसी होगी ।
तेरी हंसी होगी ।
कविता पर अपना नाम
वो कहते है लिखा करो अपनी कविता पर अपना नाम
मैंने कहा आप पर तो
कहीं नही खुदा , खुदा का नाम ।
फिर मैं ही क्यों करू खुद को बदनाम ।
मैंने कहा आप पर तो
कहीं नही खुदा , खुदा का नाम ।
फिर मैं ही क्यों करू खुद को बदनाम ।
हवा से बात
अभी हवा से कर रहा था बात ।
पूछा कैसे है उनके हालात ।
हवा ने कहा छोडो उसकी बात
अब तुम रहना मेरे साथ
कह रही मेरे जैसे रहा करो
कहीं न रुको बस बहा करो ।
पूछा कैसे है उनके हालात ।
हवा ने कहा छोडो उसकी बात
अब तुम रहना मेरे साथ
कह रही मेरे जैसे रहा करो
कहीं न रुको बस बहा करो ।
चेतना
फैलाव होता जब चेतना का नहीं बंधती वो निज
बन्धनों मे,सम्बंधित होती वो पूर्ण जगत से अपनी पल्लवित
महक सुगंधो में ।
बन्धनों मे,सम्बंधित होती वो पूर्ण जगत से अपनी पल्लवित
महक सुगंधो में ।
गहराई
सुनो खामोशियो लगा दो पहरा
मुझे जाना है अनंत गहरा ।
अनदेखा अनजाना सफर है
मेरे डूब जाने का भी डर है
और कोई रास्ता भी नही
गहराई ही उन्हें आती नजर है ।
मुझे जाना है अनंत गहरा ।
अनदेखा अनजाना सफर है
मेरे डूब जाने का भी डर है
और कोई रास्ता भी नही
गहराई ही उन्हें आती नजर है ।
खामोश सुगंध
तुम खामोश हो , रहो खामोश
यही खामोशी मुझे पसंद है ।
सभी फूल खामोश है ।
शायद इसीलिए उनमे सुगंध है ।
यही खामोशी मुझे पसंद है ।
सभी फूल खामोश है ।
शायद इसीलिए उनमे सुगंध है ।
अल्फाज
जाने क्या हुआ मेरे अल्फाजो को
शर्माने लगे है ये भी अब उनके नाम से
एक इनका ही तो सहारा था
ये भी गए अब काम से ...
शर्माने लगे है ये भी अब उनके नाम से
एक इनका ही तो सहारा था
ये भी गए अब काम से ...
प्रेम मंदिर
तुम एक-दूसरे को प्रेम करना, लेकिन एक-दूसरे के मालिक मत बनना। तुम एक-दूसरे के पास होना, लेकिन बहुत पास नहीं।
तुम ऐसे ही होना, जैसे मंदिरों के खंभे होते हैं--एक ही छप्पर को सम्हालते हैं, लेकिन फिर भी दूर-दूर होते हैं।
अगर मंदिर के खंभे बहुत पास आ जाएं तो मंदिर गिर जाएगा। प्रेमी से भी थोड़े दूर होना, ताकि दोनों के बीच में स्वतंत्र आकाश हो। अगर बीच का स्वतंत्र आका
श बिलकुल ही खो जाए तो तुम एक-दूसरे के ऊपर अतिक्रमण बन जाओगे, आक्रमण बन जाओगे। ~~~~खलील जिब्रान ~~~~
श बिलकुल ही खो जाए तो तुम एक-दूसरे के ऊपर अतिक्रमण बन जाओगे, आक्रमण बन जाओगे। ~~~~खलील जिब्रान ~~~~
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